बसंत पंचमी के आगमन पर श्रीमती नीता चमोला द्वारा लिखित कविता |
बसंत का आगमन
लो झूम झूम कर बसंत आई,
डाली डाली कोयल कुहके,
भंवरों की गुंजन से आह्लादित है मन
मेरा दिल बरबस कहे पुकार के,
लो झूम झूम कर बसंत आई।
सर्दी हुई कम ,शिशिर ऋतु ने ली विदाई,
बौराये आम,पीली सरसों,टेसू फूले,
तरु, लता, वृक्ष, फूलों से अलंकृत धरा,
नव वर्ष का हर्ष उल्लास लिए,
खग मृग पंछी, कहें पुकार के,
लो झूम झूम कर वसंत आई।
धरा ने किया है मोहक सोलह श्रृंगार,
फूलों की रंग बिरंगी चादर ओढ़े,
नन्ही नन्ही कलियां खिलने को हैं तैयार,
मौसम अंगड़ाइयां ले कहे पुकार के,
लो झूम झूम कर बसंत आई।
सुगंधित पवन के झूले में बैठ,मां सरस्वती आई,
वीणा के झंकृत तारों से नवचेतना लाई।
राग बसंत की स्वर लहरियां फिज़ा में छाई,
नव यौवन सा खिलखिलाता मधुर मधुमास,
मंद मंद शीतल पवन कहे पुकार के,
लो झूम झूम कर बसंत आई।
नीता चमोला