On the auspicious occasion of the festival of Rakshabandhan, I have written a poem dedicating it to my motherland, and thereby exhorting all citizens to tie the Raksha Shutra( Rakhi) to preserve the values of our motherland.
Rakshabandhan- CCDA
रक्षाबंधन
राखी के पावन अवसर पर,
मैं आवाहन तुम्हारा करती हूं,
बांधों यह रक्षा सूत्र तुम,
भारतियों की उन कलाइयों पर,
जो करते हैं इस देश की रक्षा,
भूमि और संस्कृति के गद्दारों से।
प्यार प्रेम का यह बंधन हमारा,
किसी राखी का मोहताज नहीं,
आज प्रण चाहिए मुझे तुमसे,
रक्षा मेरे देश की आन और शान की,
मेरे शरीर की रक्षा जरुरी नहीं,
आत्मा की सुरक्षा चाहिए मुझे,
सांसें हैं मेरी संस्कारों, त्योहारों और,
आजादी से चल रहे मंदिर और गुरूद्वारों में।
मेरी रक्षा की तुम मत करना चिंता,
मुझे काली, दुर्गा, चिन्नमा और लक्ष्मीबाई बनना आता है,
बस कोई सीता, द्रोपदी और निर्भया को प्रताड़ित न कर पाए,
मुझे एक ऐसे भाई का इंतजार है।
कोई तैमूर, बाबर, थोमस रो या हो हूंण्,
उठा सकें न नजर मेरी आन पर,
ऐसे विश्वगुरु और योद्धा बनना तुम,
जो युद्ध भूमि में भी उपदेश गीता का दे सके,
और कटा सर शत्रु का मां के चरणों में गिरा सके।
मेरी राखी तो बोझहीन है अगर प्रेम तुम दिखाओगे,
रणचन्डी का जोर है इसमें अगर विश्वासघात पर आओगे,
शक्ति और दया दोनों का है मेल मुझमें,
चुनाव और फैसला तुमको ही करना है,
चाहती हूं सदा सलामती तुम्हारी,
क्योंकि बंधन यह तुमसे मैंने बांधा है।
जय हिन्द जय भारत
Col Lalit Chamola,Sena Medals (Veteran)
22 August 21