A POEM ON HOLI BY NEETA CHAMOLA. The unique festival of Holi is two days away and the land of Lord Krishna is already decked up. Neeta chamola has expressed her feelings in this poem as to the desires of the Gopis to play Holi ( called as फाग) with Krishna.
The poem has been published in leading newspapers.
आओ सखी खेलें फाग (होली)
आओ सखी खेलें फाग,
आया महीना फागुन का।
मदमस्त बहकते अरमानों का।
शोख़ आलम का,मौसम में खुमारी का।
अजब सी कशिश का,परवानों की मस्ती का।
सुनहरे ख्वाबों का ,अधूरे अरमानों का।
आया महीना फागुन का।
आओ सखी खेलें फाग,
धो डालें व्यथित मन के सारे दाग।
टेसू, गुलाब खिलें वन उपवन,
दामन भर तोड़ लाएंगे।
प्रेम भक्ति के घोल में ,
केसरिया, लाल रंग बनाएंगे।
मोर मुकुट ,श्यामल तन,
कान्हा को रंगों से सजाएंगे।
आओ सखी खेलें फाग,
गदराया मौसम फागुन का।
हौले हौले केसरिया बयार का।
भीनी सुगंध टेसू, कनेर बहे,
चारों ओर अबीर गुलाल उड़े।
सांवरिया के रंगों की बारिश में भीगे तन अंतर्मन,
होली मुबारक मेरे मुरलीधर,
मेरा रोम-रोम पुलकित कहे।
नीता चमोला,